नई पुस्तकें >> शनिवार व्रत कथा शनिवार व्रत कथागोपाल शुक्ल
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शनि की दशा में दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है। शनिस्तोत्र का पाठ भी विशेष लाभदायक सिद्ध होता है।
भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत एवं पूजन करने से शनि का कोप शांत होता है और शनि की दशा के समय उनके भक्तों को कष्ट की अनुभूति नहीं होती है...
शनिवार व्रत की विधि, कथा एवं आरती
शनिवार व्रत की विधि
इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है। काला तिल, काले वस्त्र, काली उड़द और सरसों का तेल भगवान शनिदेव को अत्यंत प्रिय है। इसलिये इन्हीं वस्तुओं से शनिदेव की पूजा होती है। शनि की दशा को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है। शनिस्तोत्र का पाठ भी विशेष लाभदायक सिद्ध होता है।
शनिवार का व्रत यूं तो आप वर्ष के किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं परंतु श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारम्भ करना अति मंगलकारी है । इस व्रत का पालन करने वाले को शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा की विधि सहित पूजन करनी चाहिए।
शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, तेल, गुड़ अर्पण करना चाहिए। शनिश्वर के भक्तों को संध्या काल में शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना चाहिए और उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर शनि महाराज को भोग लगाना चाहिए। शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। शनि देव का आशीर्वाद लेने के पश्चात आपको प्रसाद स्वरूप खिचड़ी खाना चाहिए।
इस प्रकार भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत एवं पूजन करने से शनि का कोप शांत होता है और शनि की दशा के समय उनके भक्तों को कष्ट की अनुभूति नहीं होती है।
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